1. जो परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा रहे वह सर्वशक्तिमान की छाया में विश्राम करेगा।
2. मैं यहोवा के विषय कहूंगा, वह मेरा परमेश्वर, मेरा शरणस्थान, मेरा गढ़ है, और मैं उसी पर भरोसा रखूंगा।
3. क्योंकि वही तो तुझे बहेलिये के जाल से, और महामारी से छुड़ाएगा।
4. वह तुझे अपके पंखोंकी आड़ में ले लेगा, और तू उसके परोंके तले शरण पाएगा; उसकी सच्चाई तेरी ढाल और झिलम ठहरेगी।
5. तू न रात के भय से डरेगा, और न उस तीर से जो दिन को उड़ता है,
6. न वह व्याधि जो अन्धेरे में फैलती हो, और न वह व्याधि जो दिन दुपहरी में उजाड़ती हो।
7. तेरे निकट हजार, और तेरी दहिनी ओर दस हजार गिरेंगे, परन्तु तुझ पर चोट न लगेगी।
8. तू केवल अपक्की आंखोंसे दृष्टि करेगा, और दुष्टोंका फल देखेगा।।
9. हे यहोवा, तू मेरा शरणस्थान है। परमप्रधान में तू ने अपना निवास स्थान बनाया।